शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में लैंगिक भूमिका एवं आत्म-सम्मान की अवधारणा के ज्ञान का उपयोग
Author(s): बिजेंद्र कुमार मौर्य
Abstract: लैगिंक भूमिका सामाजिक रूप से निर्मित वे व्यवहार, क्रियाकलाप या गतिविधियों है, जो समाज में पुरुष एवं महिला के लिये उचित समझी जाती है। मूलतः संस्कृति सापेक्ष होने के कारण लैंगिक भूमिका के अनेक जटिल एवं बहुआयामी निहितार्थ होते हैं। आत्म-सम्मान, आत्म मूल्य की एक भावना है। स्वयं के विषय में अपना धनात्मक या) णात्मक मूल्याकंन, जो हम महसूस करते हैं, वहीं आत्म-सम्मान है। लैंगिक भूमिका का अन्तर विद्यार्थियों के क्रियाकलापों, गतिविधियों एवं आत्म सम्मान को किस प्रकार एवं कितना प्रभावित करता है? निरन्तर शोध का विषय रहा है। वस्तुतः शैक्षिक पटल पर लैंगिक भूमिका एवं आत्म-सम्मान की अवधारणाओं का ज्ञान एवं उनके शैक्षिक निहितार्थ अध्यापक, विद्यार्थी, शैक्षिक कार्यकर्ताओं एवं प्रशासकों के लिए बहुत उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है।
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How to cite this article:
बिजेंद्र कुमार मौर्य. शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में लैंगिक भूमिका एवं आत्म-सम्मान की अवधारणा के ज्ञान का उपयोग. Int J Multidiscip Trends 2024;6(3):52-54.